Saturday, May 6, 2017

वायार दनेपर म येक नानकीस कवीता लकरोछू,

जे सेवालाल🙏🏼

  चार वसरेस पयीलार दन आज मन हारद आवगी, आजेर दन हाम दोयी *धणी-गोण्णा* हूयेते.
हामार दोयीर वायार दनेपर म येक नानकीस कवीता लकरोछू,

मार बेटार वाया छ करन
मार बाप आन याडी
वायार तयारी कररेते!
हारदे आवगी मन वो दनेरी वात.!!

मार भायीर वाया छ करन
मारो मोटो भायी हूबे तडकेम
सेन वायान खबर केतो हींडरोतो!!
हारदे आवगी मन वो दनेरी वात!!

काका काकी, भायी भोजायी
भेन भेनोयी, मासा मासी
मार सारी कठमाळो हाटपटण कररेते!
हारदे आवगी मन वो दनेरी वात!!

5 तारीक 2013 रात मार तांगडी आयी
मार जीवन सातीती वोर सोबतणे गळो पकडन रोयी
पेली वणा मार गोण्णी ढावलो करन रोयी!
हारदे आवगी मन वो दनेरी वात!!

दाडे नीकळेर दोपेर 12:45 वासता
वू वोर याडीबापेन, सखी-सोबतणेन छोडन
सात जनमेर सपनो देकती वू मार गोणी वेगी!
हारदे आवगी मन वो दनेरी वात!!

घरेर मूंडाग मंडप भंदोतो
दूरे कनेर से पामण आवगे
हामार दोयीर वूपर चावळ नाके!
हारदे आवगी मन वो दनेरी वात!!

हामार वाया छ करन
न नाचे वाळ भी नाचरेते
आज से हामार सोबत खूसीती फटू कडायतेे!
हारदे आवगी मन वो दनेरी वात!!

हाम दोयी धणी गोण्णा
हामार याडीबापेन नवंण कररेते
हामेन दोयीन आसीरवाद दीने!
हारदे आवगी मन वो दनेरी वात!!

*आजी तो घणो लकेरो छ भीयावो, पण आब आतराज बस, येमायी तमेन जो हारद आवं हारदे करन आणंद लो*🙏🏼


धन्यवाद.
रविराज सुभाष पवार
शामपुरहळ्ळि तांडो, ता.चित्तापुर
जी. गुलबर्गा, कर्नाटक.
8976305533

Monday, March 13, 2017

होली मनाओ पर पानी बचाओ

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होली मनाओ पर पानी बचाओ

होली भारत में मनाया जानेवाले मह्त्वपूर्ण त्योहारों में से एक हैं। इसे रंगो के त्यौहार के रूप में जाना जाता हैं।इस दिन सभी लोग आपसी बैर भूलाकर ,आपस में गले मिलकर, गुलाल लगाकर बड़े जोर शोर से इस त्यौहार को मानाने की परम्परा रही हैं।होली वास्तव में आपसी भाईचारा और शांति का पैगाम देती हैं। इस दिन सभी अपने चेहरों पर गुलाल लगा लेते हैं। इसका अर्थ होता है हम सब एक सामान हैं। किसीकी कोई अलग पहचान नहीं है। सब एक सामान दिखते हैं ।क्या बड़े क्या बूढ़े सब एक ही रंग में दिखाई देते हैं।आपसी सौहार्द को बनाये रखने के लिए हमारे जीवन में त्योहारों का होना बहुत जरुरी हैं।


जहाँ चारो तरफ रंगो का त्यौहार मनाया जा रहा हैं वही महाराष्ट्र के कई भागो में तो पीने तक का पानी उपलब्ध नहीं हैं।स्कूल के बच्चे पानी के चक्कर में अपनी परीक्षा तक नहीं दे पाते।घर की महिलाएं 5 से 6 घंटे सिर्फ पानी भरने का ही काम करती हैं।पीने का पानी लाने के लिए महिलाओं को 3 से 4 किलोमीटर की दुरी भरी दोपहरी में नंघे पैरो से तय करनी पड़ती हैं।दूर दराज़ इलाको में अमूमन यही हाल हैं।कही-कही तो कुएँ सूख गए हैं। 600 फ़ीट नीचे भी पानी उपलब्ध नहीं हैं।जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। लोग जमीन में गड्डे खोद कर उसमे से पानी निकाल कर उसे कपडे से छान कर पानी पीते हैं। सोलापूर में तो 30 -40 दिनों में एक बार पानी आता हैं। और कही तो 90 दिनों में एक बार पानी आता हैं।फिर भी लोग बिना शिकायत के अपना जीवन-यापन कर रहे हैं।उन्हें अपने हालात से खुद ही लड़ना हैं।


ऐसे में मानवीय आधार पर क्या हमें पानी को व्यर्थ होने देना चाहिए? नहीं हमें जितना हो सके पानी के अनावश्यक उपयोग से परहेज करना चाहिए।हम खुशनसीब हैं की हम ऐसे इलाको में रहते हैं जहा 24 घंटे पानी मिलता हैं। इसका अर्थ ये कतई नहीं हैं की हर जगह इसी प्रकार की सुविधा मिलती हैं।लोग व्यर्थ में ही पानी का दुरूपयोग करते हैं।राज्य सरकारों ने भी तरह-तरह के कार्यक्रमों से लोगो में जागरूकता लाने का प्रयास काफी हद तक किया हैं लेकिन वह कारगर सिद्ध होता नहीं दिख रहा है।


आज के आधुनिक परम्परा के अनुसार जब तक होली में लाखों लीटर पानी बर्बाद न हो जाए तक शुकुन ही कहाँ मिलता हैं।जहाँ देखो वही लोग रंगो की पिचकारी भरे एक दूसरे के ऊपर रंग डालते पानी व्यर्थ करते नजर आते हैं। आजकल तो होली खेलने का तरीका ही बदल गया हैं।कोई आयल पेंट लगता हैं तो कोई अंडे फोड़कर होली मनाता हैं।कही तो नालो में डुबो कर इस त्यौहार को मनाया जाता हैं। ऐसे में कुछ बोलो तो कहते हैं..भाई एक दिन में कितना पानी बचा लोगे?हमारे त्यौहारों में ही आपको कमियां नजर आती है।बड़े आये पानी बचानेवाले। और कुछ नहीं तो आपको धर्म का दुश्मन तक बता देंगे।और धार्मिक भावनाएं आहत करने का इल्जाम सर मढ़ देंगे इसी तरह की सोच से आज ये हालात हो गए हैं की हमें पीना का पानी भी नहीं मिल पा रहा है।


आप को होली खेलने से कोई नहीं मना कर रहा ।आप खेले पर किसी की जरूरतों को ध्यान में रख कर।एक तरफ जहा एक इंसान एक बूँद पानी न मिलने के कारण अपने प्राण त्याग देता हैं वही दूसरी तरफ बड़े ऐशो आराम से पानी की बर्बादी कर रहा हैं।
पानी की बर्बादी कर मनुष्य प्रकृति के साथ बहुत बड़ा खिलवाड़ कर रहा हैं। जिसका नुक़सान समस्त मनावजाति को होनेवाला है।



-लेखक. मुंबई विश्वविद्यालय के गरवारे संस्थान द्वारा संचालित पत्रकारिता पाठ्यक्रम के विद्यार्थी हैं

सौजन्य:  रविराज एस. पवार
              Chief editor
www.GoarBanjara.com
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Saturday, March 11, 2017

होळीर लेंघी


*येक पीसारो जींबर सूत मोलायो र.*

येक पीसारो जींबर सूत मोलायो र, ||

सूत मोलायोर जींबर जाळ गूतायो र, ||

जाळ गूतायो र जींबर चालो सीकारेन र ||

छोटा मोटा डाया देकन रोळज दीनो जाळ र, ||

रोळ दीनो जाळ कायी सपळ पडीर माचळी ||

सपळ पडी र माचळी वू खेचज लीदो जाळ र, ||

खेचज लीदो जाळ र वू भांदज लीदो पोटली ||

भांदज लीदो पोट र वू चालो वेपारेन र, ||

बोल र जींबरीया तेरी मछली का मोल र ||

बोल र भासीयी तेरी राणी का मोलर, ||

वूलटा, सूलटा थपड मारू लाल करूंगी गाल र. ||

*रवीया सूभीया आमगोत*
       8976305533

Friday, March 10, 2017

संत सेवालाल आरती


भजन ७.
*संत सेवालाल आरती*

जे देव जे देव
बापू मोतीवाळा संत सेवाभाया
कळाधारी नीरंकारी बापू सेवालाल
जे देव जे देव
                          *!!२!!*
जे देव जे देव
संत सेवालाल तू मोतीरवाळो
तू धूणीर वाळो
गोरूरो गूरू छी बापू सेवालाल
जे देव जे देव
                          *!!जे देव!!*
सेवागडेम बापू जनम लीदो
गोरू सारू बापू धाम कीदो   *!!२!!*
गोर तोन गूरू मानेछ भाया
तारे गोरूपर रेदेस साया
जे देव जे देव
                          *!!जे देव!!*
भीमा नायेकेरो पीयारो छी बाळा
धरमणी याडीरो लाडेरो बाळा
गोर तोन गूरू मानेछ भाया
तारे गोरून दभेट दकाळ
जे देव जे देव
                          *!!जे देव!!*
याडी मरीयामारो पीयारो छी भकत़
भकत़ूर कसटेन सेवा कीदोची मूकत़
गोर तोन गूरू मानेछ भाया
तारे गोरूपर रेदेस साया
जे देव जे देव
                          *!!जे देव!!*
वीधीया तू देणू बूधी तू देणू
ज्ञनानेरो भंडार भाया तू देणू
अवजे कसटेन तू टाळ देणू
तारे गोरूपर रेदेस साया
जे देव जे देव
                          *!!जे देव!!*
वूध काडी करपूर दीवो लगाडू
घीये दूधेरो बापू भोग लगाडू
खाकेम पाक करदेणू भाया
तारे गोरूपर रेदेस साया
जे देव जे देव
                          *!!जे देव!!*
सूतेरे सपनेम रेणू मारो भाया
बेटेरे हरदेम रेणू मारो भाया
नान मोट तारे गोर गरीबूपर
नंघरी पर बापू रेदेस साया
जे देव जे देव
                          *!!जे देव!!*
जे देव जे देव
बापू मोतीवाळा संत सेवाभाया
कळाधारी नीरंकारी बापू सेवालाल
जे देव जे देव
              
*********&*********

पेलो धेन करेरो

पेज...(१)

पहीलो धेन करेरो
______________

 ओम......ओम.....सेवा ओम..हरी ओम..सेवा ओम...

 लोका समसथ सूखीनो भवतू
सर्वेशांम पूर्णभवतू
ओम....नारायणे,नारायणे,नारायणे ओम.....
ओम...सेवालाल..सेवालाल..सेवालाल नमं:...

गायथरी कढी:
     ओम..भूर भूवसतवा तसतव रीतूरव रेणयम भरगो देवशदीमही धीयोयोनक परचोदया.

 वकरतूंड महाकाये सूरयाकोटी समपरभ!
नीरवीगनमं करूमेदेव सरवकायेसू सरवधा !!

*सेवार कढी:*

ओम...शीरी तळजा, मरीया याडी, मतराळ देवीरो, पूजावाळो, आंबर वेगो, भायारे.

* धरम सतेरो सेवा, ये जगेम होयोरे, महापूरस योगी, सगटेरो भाया छरे, बरम सेवा, ये जगेम वेजोरे, काल ज्ञनान करत, शीरी बाल बरम चारी, सेवा भायारे.


*गणपतीर कढी:*

सकल जग भरन, धरम सत हरीय सशीवा, नील वरणम, चार हाथेज राम, परसन वेजो, मलकेन देवतू,
शम सरव कामेम, वीगन साही वेजोनी, शीळो देव तू.

*गरूर कढी:*

गरूज बरम देव, गरूज वीशनू देव, गरूज हीमगीरी सामीजी, गरूज साजीज पेनार,
बरम बापेन सतेर, पगला माये बापेर, शीरी जीव गरूवे नमं:.

हनमानेर कढी:

मनेम जप, हनमानेर जूम, वतराळ जीतेरो, रतन जतन करन, भकती भाव, वशीसट रेजूम, वात येकज जयं वच,
वांदरेम तू रेणूज, शीरी रामेर पगलान पगलान नंबेवाळो, वूधो वूधो नमं बापू.

*सेवार कढी:*
   तूळसी हार देमेलोच, शबरी माला वाळो अयपा, पगडेर हार देमेलीच, आंबा भवानी, तळजा याडी,
कपाळेपर टीको देमेलोच, बालाजी देव, शीरी नीवस बापू, रातडो पाग देमेलीच, दूरगा भवानी, दूरगा याडी,
धोळो लथा देमेलोच, काशीमायीरो देव, शीव बापू.
  ********&*********
Raviraj S. Pawar
8976305533